सोमवार, 14 अगस्त 2017

यह देश तुम्हारा नहीं

मेरे बच्चो
यह देश युवा है
युवाओं का है
युवा हैं इनके सपने
सपनो में उन्माद है
 यह देश तुम्हारा नहीं है
मेरे बच्चो !

इस देश से मत मांगो रोटी
मत मांगो कपडे
मत मांगो किताबें
यह सब तुम्हारा अधिकार नहीं है
तुम्हारा अधिकार हाशिये पर से
ताली बजाना है
यह देश तुम्हारा नहीं
मेरे बच्चो !

हमें मिसाइल बनानी है
हमारी प्राथमिकता में युद्ध है
हमें शहरो को स्मार्ट बनाना है
हमें सड़के चौडी करनी है
इन सडको पर चलनी है
भारी भरकम गाड़ियाँ
यह देश तुम्हरा नहीं
मेरे बच्चो !

तुम मर गये ठीक हुआ
जो जिन्दा है वे भी क्या कर रहे
मलेरिया, टायफायड, तपेदिक से मर तो रहे हैं
हजारो अन्य बच्चे रोज़
लाखों कुपोषित बच्चे जीवित तो हैं
क्या कर रहे हैं वे जीवित रह कर भी
सोचती है ऐसा ही सरकार
ऐसा ही सोचते हैं अधिकारी

अच्छा हुआ जो तुम मर गये हो
मेरे बच्चे !
यह देश तुम्हारा नहीं . 

3 टिप्‍पणियां:

  1. गहरा क्षोभ और दर्द चुप है इस रचना
    में ... संवेदनहीनता की चरम स्थिति पर समाज है और देश के कर्णधार उससे भी आगे ..:

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  2. उम्दा ! सत्य का अनावरण करती आपकी रचना ,आभार ''एकलव्य"

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